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Showing posts from April, 2023

बुखार ही तो है

बुखार  वीर रस :- तू तनिक भी विचलित मत हो अपने पथ से जिसे तू समझ रहा बुखार है दरअसल वो तुझे कोयले से तपा कर हीरा बना रहा तेरे भीतर का आंतरिक ज्वार है । भक्ति रस - आत्मा की गर्मी से तप रहा बदन ,परमात्मा के शरण में शौंप दो ये मन ,जल रहा पल-पल ये तेरा अंहकार है  जिसे तू समझ रहा बुखार है । सृंगार रस - तेरी रूप की गर्मी मेरे अंग-अंग में कुछ ऐसे समा गई ; जल रहे दिल ,जिगर ,गुर्दे ,फेफड़े सब और बुखार आ गई । विरह रस :- तपती रहेगी ये जिस्म और जलती रहेगी जान ,जब तक सीने से ना मिटेंगे तेरे जाने के निशान । हास्य रस :- बदला मौसम और चढ़ गया शरीर का भी पारा ,जमाने को लगा कि इसे भी बुखार ने बिगाड़ा ।

The Status Glory

The Status Glory  आजकल लोग अपने स्टेटस से ज्यादा औरों ने क्या लिख दिया ,क्या लगा दिया ,कैसे कर लिया ,क्यों लगाया ,क्यों ही ऐसा लगा ,ऐसे नहीं लगाना था ,इसका मतलब क्या है ,कहीं कुछ हुआ तो नहीं आदि से परेशान है । और ये परेशानी बेवजह की है ,क्योंकि जब आप जानते ही नहीं कि इसका मकसद क्या है ,किस संदर्भ में है ,क्या तात्पर्य है तो फिर अपना माथा काहे पटक रहे । जरा सोचिए अगर स्टेटस भी सबसे पूछ कर और सर्वसम्मति से लगाया जाए तो फिर वो स्टेटस अपना रह जायेगा क्या ? इसलिए बेहतर यही है कि कम से कम स्टेटस में हम साथ-साथ है वाली मानसिकता से निकल कर अंदाज अपना-अपना वाली भावना रहने दे नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब ये दिखना बंद हो जाएगा और फिर ना कहना कि हम आपके है कौन ? जितनी अभिव्यक्ति की आजादी आपको है उतनी ही हमें भी तो फिर ये टोका-टाकी क्यों ?सच है सिर्फ शब्दों से समाज सुधारा नहीं जा सकता ,मगर कोशिश करने में क्या हर्ज है ,कम से कम ये हमारे मन की स्वच्छन्द उपज तो है दूसरों की तरह कॉपी और पेस्ट तो नहीं ।  स्टेटस लगाने की ना तो उम्र निर्धारित है और ना पद । जब सारी दुनिया टिकटोक और shorts में बेशर्मी का नँगा