The Status Glory
The Status Glory
आजकल लोग अपने स्टेटस से ज्यादा औरों ने क्या लिख दिया ,क्या लगा दिया ,कैसे कर लिया ,क्यों लगाया ,क्यों ही ऐसा लगा ,ऐसे नहीं लगाना था ,इसका मतलब क्या है ,कहीं कुछ हुआ तो नहीं आदि से परेशान है । और ये परेशानी बेवजह की है ,क्योंकि जब आप जानते ही नहीं कि इसका मकसद क्या है ,किस संदर्भ में है ,क्या तात्पर्य है तो फिर अपना माथा काहे पटक रहे । जरा सोचिए अगर स्टेटस भी सबसे पूछ कर और सर्वसम्मति से लगाया जाए तो फिर वो स्टेटस अपना रह जायेगा क्या ?
इसलिए बेहतर यही है कि कम से कम स्टेटस में हम साथ-साथ है वाली मानसिकता से निकल कर अंदाज अपना-अपना वाली भावना रहने दे नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब ये दिखना बंद हो जाएगा और फिर ना कहना कि हम आपके है कौन ?
जितनी अभिव्यक्ति की आजादी आपको है उतनी ही हमें भी तो फिर ये टोका-टाकी क्यों ?सच है सिर्फ शब्दों से समाज सुधारा नहीं जा सकता ,मगर कोशिश करने में क्या हर्ज है ,कम से कम ये हमारे मन की स्वच्छन्द उपज तो है दूसरों की तरह कॉपी और पेस्ट तो नहीं ।
स्टेटस लगाने की ना तो उम्र निर्धारित है और ना पद । जब सारी दुनिया टिकटोक और shorts में बेशर्मी का नँगा नाच देख कर बर्दाश्त कर सकती है तो हमारे शब्दों की सच्चाई भी कर ही लेगी । माना थोड़े कड़वे है मगर सुपाच्य है । और अगर हलक से नीचे नहीं उतर रहे तो आदत डाल लीजिये । क्योंकि हम सब तो लिखेंगें और यही स्टेटस में लिखेंगें अब आपके मन में कोई दुविधा या शंका है तो खुल के सामने आइये विधि के विधान के पास हर समस्या का समाधान है ।
In the modern society there is a hidden but seen competition of status ,but I think the plants of morning glory is better than this so called status glory .....
🌱SwAsh🌱
✍️shabdon✍️ke✍️ashish✍️
Comments
Post a Comment