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Showing posts from October, 2023

वक़्त और पैसा ✍️

बचपन से यही सुनते-सुनते बड़े हुए है  कि - " Time is Money " और बढ़ती उम्र को कदम कदम पर ज़माने ने समझाया  कि :- The Money has lots of time । मगर वक़्त और पैसा एक साथ शायद ही किसी को नशीब होते है । अक़्सर जब वक़्त होता है तो पैसा कम पड़ जाता है और जब पैसा अथाह हो तो वक़्त ही नहीं मिलता । सच कहूँ तो रोटी ,कपड़ा और मकान हमारी community की basic needs नहीं दरअसल priority में वक़्त और पैसा ही है । गहराई में जाकर तलाशने पर इन तीनों प्राथमिक आवश्यकताओं के मूल में भी वक़्त और पैसा ही बैठे नजर आयेंगें सृजनकर्ता के रूप में । विलासी को पैसा चाहिये और वैरागी को वक़्त । प्रेम और अध्यात्म वक़्त की महत्ता पर बल देते है तो वही भौतिकतावादी तत्व पैसे की महिमा का गुणगान करते है । जिसे बहुत पैसा चाहिये उसे सुकून कम मिल पाता है और जिसके पास खुद के लिए और उससे जुड़े अपनों के लिए वक़्त काफ़ी है उसे बेपरमान पैसे से क्या ही लेना ,वो थोड़े में भी बड़े आराम से गुजारा कर लेता है ।  अमीर बनना बुरी बात नहीं मगर रईश बनने के जुनून में किसी गरीब का खून चूसना गलत है । अब सभी सन्यासी तो नहीं बन सकते ना मगर विलासी बनने से तो कही

राजयोग ✍️🙌✍️

भविष्यवक्ताओं , ज्योतिषियों , कालचक्रतंत्र के ज्ञाताओं , हस्तरेखाओं के विद्वानों एवं ग्रह नक्षत्रों के जानकार प्रायः किसी का भविष्य बताते हुए उसकी किस्मत में राजयोग की संभावना व्यक्त करते है । अब किसी की व्यक्तिगत कुण्डली में ग्रहों की दशा और दिशा के अनुसार क्या अंकित है ये तो कोई विशेषज्ञ ही बता सकता है । पर सोचने वाली बात ये है कि आखिर ये सभी किस राजयोग की बात करते है जबकि अब तो ना कोई राजतंत्र है ना ही रियासत है । अब जब राजयोग लिखा है तो फिर निश्चित ही सुनहरे भविष्य की कामना मन में हिलोरे मारने लगती है । पर जहाँ तक मेरी समझ है राजयोग का मतलब सिर्फ धन-दौलत और तमाम ऐशोआराम से नहीं है ना ही इसका तात्पर्य मशहूर होने और शोहरत कमाने मात्र से है । दरअसल असली राजयोग तो ये है कि आप अपने आचरण और व्यवहार से दिलों पे राज करें । आपका चरित्र आपके इस विशेष योग का दर्पण बने और आपके कर्म इस संयोग का समर्पण । पर ये दुनिया है यहाँ राजा का मतलब तो बस यही है कि कौन कितना धनी है , व्यक्तित्व का नहीं विलासिता का , प्रतिभा का नहीं भौतिकता का , ज्ञान का नहीं अभिमान का । आपकी किस्मत में लिखा राजयोग बेशक आपको

अवसरवादी तंत्र

जिन चंद अपनों के लिए हम दुनिया से भिड़ जाते है क्या वे वाक़ई में हमारी दुनिया का हिस्सा है या फिर जिन्दगी की कहानी का बस एक छोटा सा किस्सा है ? सवाल बेहद गंभीर है in fact घर-घर की सच्चाई है । सच कहूँ तो सदियों से चली आ रही उस पंरपरा का पालन अब बेमन से परंतु पूरी निष्ठा और लगन से करते है क्योंकि हम संस्कारी लोग है जिन्हें ये सभ्यता माँ-बाँप से विरासत में मिली है  और शायद हमारी generation इस  आदर-सत्कार की responsibility को ताउम्र निभाने के लिए वचनबद्ध है । पर क्या ये अवसरवादी लोग हमारे सेवा और सम्मान की कद्र करते है ।  अरे हमें इनसे धन-दौलत मान-सम्मान नहीं चाहिए बस जरूरत के वक़्त कम से कम हमारे आस-पास रहे भले हमसे हमारा हाल-चाल भी ना पूछे मगर हालात की गंभीरता को समझे और समाज को दिखाने के लिए ही सही एक छत के नीचे इन चारदीवारों के बीच पड़े किसी सामान की तरह भी परिवार का अंग बनकर संग रहे , ये भी बहुत है । मगर अफ़सोस कि इनसे इतना भी नहीं होता । वैसे तो इन अवसरवादियों के पास भरपूर समय होता है पर जब हमें थोड़ी सी उम्मीद होती है तब इन्हें दशरथ माँझी की तरह पहाड़ तोड़कर सड़क बनानी होती है ।  जब विचार इत