बिहार से हूँ या भारतीय हूँ !


सर्दी की गुनगुनी धूप में हाथों में झारखंड लिए बैठा हूँ मगर दिलोदिमाग में बिहार है ,यकीन करिए बिहार से हूँ ! यूँ तो राष्ट्रीयता भारतीय है मगर राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में हम सब प्रतिभागियों का समाज कई वर्गों में खंडित है , फिर भी हम सब है तो एक वो विविधता में एकता वाली बात तो आपसब ने सुनी ही होगी ठीक वैसे ही और क्या !

पढ़ने की आदत से लाचार हम या फिर अपने ही प्रदेश में आरक्षण के नए फ़रमान से आहत अपने पड़ोसियों के घर सम्भावनाएं तलाशने को विवश है या यूँ समझिये समाज में अपनी प्रतिष्ठा और पहचान बचाये रखने का एक प्रयास है । वैसे तो इस देश में आरक्षण का विरोध करना अंग्रेजी राज के किसी गवर्नर को गोली मारने से कम नहीं फिर भी इसके आधारों के विरुद्ध प्रतिक्रिया हमारे अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार क्षेत्र में तो आता ही है । पर सत्तारूढ़ शिरोमणियों को अपनी-अपनी राजनीतिक साख बचाने के लिए आरक्षण की पुड़िया रामबाण के समान प्रतीत होती है ,जिसे श्मशान में पड़े मुर्दे की जीभ पर डाल दे तो तिलमिला कर हे राम का उदघोष करते हुए दौड़ पड़े ।

बिहार एक ऐसा प्रदेश है जहाँ हम निम्नमध्यवर्गीय परिवारों के लिए सरकारी नौकरी कलयुग में नारायण के दर्शन से तनिक भी कम नहीं । युवा क्या अधेड़ भी इसी रेस में अपनी उम्र को ताख पे रख के ऐसे भागते फिरते है मानो " मरुआ घोड़ा नीलकंठ हुआ " । अब जब उत्तरप्रदेश ने बिहार में आयोजित शिक्षक प्रतियोगिता के महाकुंभ में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज करा दी या सच कहूँ तो बहती गंगा में जिस्म धो लिए तो ऐसे में हमें एक बात की टीस तो होगी ही कि क्या कसूर था हम बिहारियों का जिन्हें तब परिणाम प्रकाशित होने के उपरांत झारखंड सरकार ने अपरिहार्य कारणों का हवाला देकर नियुक्ति को ही अगले आदेश तक रद्द कर दिया था । 

अब नौ साल बाद फिर से वही खड़े है और हाथों में वही किताब है पर वो जोश और जुनून ना रहा ।

बिहार से हूँ या फिर भारतीय !

@shabdon_ke_ashish ✍️

Comments

Popular posts from this blog

नूर-ए-हिन्द - " कोहिनूर " 💖

मगर कब तक ?

I am the Definition of myself ✍️💖✍🏻