वक़्त बदलता नहीं , वक़्त को बदलना पड़ता है ।
हमने अक्सर सुना है कि वक़्त की सबसे बड़ी खूबसूरती यही है कि चाहे जैसा भी हो गुजर जाता है ; हम बहती हुई दरिया की किसी बूंद को दोबारा नहीं छू सकते । जिस पल में जी रहे है वो पल लौट कर नहीं आयेगा। पर क्या वाकई वक़्त बदलता है या वक़्त को बदलना पड़ता है । इस सवाल के दो आयाम है एक ये कि जीवन को वक़्त के भरोसे छोड़ दे और वक़्त अपने हिसाब से चलता रहे और दूसरा ये कि वक़्त को अपने अनुसार बनाने के लिए निरंतर प्रयास जारी रखा जाए । अब जरा सोचिए वक़्त तो हर हाल में बदलेगा पर आपने इसे अपने अनुरूप बदलने के लिए किया क्या है ? " वक़्त एक नदी है जो बहती जा रही है , दिशा और दशा तय करेगी सागर तक का सफर " इतिहास के पन्नों को पलटने पर हम पाते है कि जिसने भी जीवन के उद्देश्य को समझकर लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया उसने इस समय के पहिए को अपने हिसाब से घुमाया या फिर इस पहिए की रफ्तार को पहचान कर उसके ताल से ताल मिलाकर चलता चला गया । और वो लोग जो नियति के भरोसे बैठे रह गए ये सोचकर कि उनका समय आयेगा दरअसल वो समय कभी आया ही नहीं क्योंकि समय बदलता जरूर है मगर उनके लिए नहीं जो जीवन के किसी मोड़ पर ठह...