सपना वो नहीं जो आप नींद में देखते है बल्कि सपना वो है जो आपको सोने ना दे

ये सोलह आने सच है कि सपनों की इस हसीन दुनिया में सबकुछ सपने जैसा ही तो लगता है पर उसके लिए यथार्थ है जिसने अपने सपनों को सोने नहीं दिया , उसे अतीत की पुरानी बस्ती में खोने नहीं दिया और उसे इतिहास के पन्नों में दफन होने नहीं दिया । 
" मंज़िल भी तो बस सफ़र का ही एक हिस्सा है क्योंकि जिंदगी ठहर जाने का नाम नहीं " 

    आइए इस लघु निबंध में हम सपनों को साकार करने के तरीके को जानने तथा जीवन के उद्देश्य को समझने का प्रयास करते है ।

      उपरोक्त शीर्षक हमारे भूतपूर्व यशस्वी राष्ट्रपति जिन्हें हम मिसाइलमैन के नाम से संबोधित करते है का एक कथन है पर असल में इस एक कथन में ही सम्पूर्ण जीवन का दर्शन है । सपने देखना भला किसे पसंद नहीं , पर क्या मनपसंद सपने सोते हुए आ सकते है और अगर यदा कदा आ भी जाए तो नींद के टूटने के साथ ही टूट कर बिखर जाते है और फिर शायद टुकड़े मात्र ही रह जाते है । पर जरा सोचिए अगर कोई सपना खुली आँखों से देखा जाए और उसके पूरा होने तक अपना सर्वस्व लगा दिया जाए तो फिर उसे सच होने से कौन रोक सकता है ।

  " सपनों की दुनिया में कोई सच तलाशते है , कल्पना ही तो यथार्थ की जननी है आख़िर "

      जिसका यह कथन है उसके जीवन का विहगावलोकन करने से स्पष्ट हो जाता है कि उनका जीवन औरों के लिए एक सपने की तरह ही तो है वरना एक पेपर बांटने वाले से वैज्ञानिक और फिर राष्ट्र के प्रथम नागरिक तक के सफर को पूरा करना आसान है क्या ? जीवन के संघर्ष को सहर्ष स्वीकार करना ही तो महापुरुषों की विशेषता रही है । प्राचीन काल से लेकर वर्तमान युग तक इतिहास गवाह है कि सपने उसी के सच हुए जिन्होंने इसे यथार्थ मानकर जीना शुरू किया , दरअसल हर संभव प्रयास किया जो एक व्यक्ति के स्तर से किया जा सकता है । 

   " जीवन एक सपना है या सपनों का जीवन है , कल्पना को चरितार्थ करने में वक़्त तो लगता है लंदन भी तो एक रात में लंदन नहीं बना होगा "

      कहते है ना कि Thoughts become Things , अब सपने भी तो विचार ही है भले ये उस ज्वालामुखी की तरह है जो अभी क्रेटर को भेद कर बाहर नहीं आई है मगर मैग्मा सी धधकती ऊर्जा तो इसमें भी निहित है । जरूरत है तो बस इस ऊर्जा को सकारात्मक दिशा देने की जैसा कि आप सभी जानते है ऊर्जा का ना तो निर्माण किया जा सकता है और ना ही इसे नष्ट किया जा सकता है मगर एक रूप से दूसरे में परिवर्तित तो किया जा सकता है तो फिर क्यों ना सपनों को यथार्थ का रूप दे दिया जाए ।

       हम सभी एक भीड़ का हिस्सा है जिनमें से बहुत ही कम लोगों को ये पता है कि उनके जीवन का उद्देश्य क्या है , उनका लक्ष्य क्या है , उनकी उपयोगिता क्या है , उनका वजूद क्या है ? और जिन्हें पता है उनमें से अधिकांश ये सोच कर हार मान बैठे है कि उनके जैसे लाखों है तो फिर उन्हीं का सपना सच क्यों हो ! 

        " हार और जीत के बीच बस सोच का फ़र्क होता है "

           नियति का हवाला देकर हम अपना काम तो नहीं टाल सकते ना कहा भी तो जाता है कि ' कर्म से बदले भाग्य की रेखा ' । किस्मत के भरोसे रहने से जीवन कट सकता है सपने पूरे नहीं होते । जैसे अगर गायक बनना है तो रियाज़ करना होगा , लेखक बनना है तो लिखने का अभ्यास करना होगा ; मतलब साफ है कामयाब बनना है तो प्रयास करना होगा । 

  " सपने भी उसी के पूरे होते है जिसने सपनों को पूरा करने का सपना देखा हो , और उसे साकार करने की लगन में फिर अपनी नींद उड़ाई हो "

                                      आशीष ✍️ 

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