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आप भी एक गांधी है

अगर आपके भीतर भी विचारों की आंधी है  तो समझिए कि आप भी एक गांधी है  जिसे भय नहीं हथियारों का  जो शक्तिपुंज है विचारों का  जो सबको साथ लेकर चल सके  जो अकेले भी भीड़ की तरह निकल सके  जिसके पास सत्याग्रह की शक्ति हो  जिसकी वाणी में भक्ति हो  जो अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हो  सत्य और अहिंसा ही जिसका रक्त हो  जो नदी की तरह अपना रास्ता खुद बनाता हो  भटके हुए को सन्मार्ग पर लाता हो  जो धर्म की राजनीति नहीं राजनीति का धर्म जानता हो  जो अल्लाह और ईश्वर को एक मानता हो  जिसकी जुबान में स्वतंत्रता और सीने में आजादी है  अगर आपके भीतर भी विचारों की आंधी है  तो समझिए आप भी एक गांधी है  - आशीष ✍️

71st BPSC PRE

ये इम्तिहान सिर्फ आपके ज्ञान का नहीं बल्कि आपके धैर्य का भी है । अतः मन को शांत  रखे । कुछ प्रश्नों के स्तर अगर बहुत निम्न हो तो उसमें विकल्पों के साथ हेरा फेरी हो सकती है इसलिए सावधान रहे । कथन वाले प्रश्नों में key words का ध्यान रखे । सत्य , असत्य , सही , गलत आदि का विशेष ध्यान रखे । कुछ प्रश्नों से आपका परिणाम निर्धारित नहीं होने वाला क्योंकि कुल 150 प्रश्न है और सभी के अंक समान है । आपका प्रयास होना चाहिए कि आप अपनी तरफ से आश्वस्त हो कि कितना अटेम्प्ट करना ठीक होगा । समय पर्याप्त रहता है अतः एक घंटा होते ही जितने प्रश्न आपने लगा लिए है उसे पहले अपने omr में colour कर ले और फिर बाकी बचे प्रश्नों को बनाए और omr में फील करते जाए । अंतिम के 15 मिनट में वैसे प्रश्नों में रिस्क ले जिसमें आप दो विकल्पों में कन्फ्यूज्ड हो । मगर ये रिस्क लिमिटेड ही हो तो बेहतर है । आखिरी के इन 5 दिनों में PYQ को ही पढ़े , विशेष कर बिहार विशेष और विज्ञान के प्रश्नों को अवश्य देखे । धन्यवाद 🙏 All the best Team Mainstream ✍️

The Rising of A Team of your Dream MAINSTREAM ✍️

मित्रों ,        जीवन संघर्ष का ही तो दूसरा नाम है पर अपने स्तर से ऊपर उठने के बाद कुछ लोगों को ये भ्रम हो जाता है कि उनसे बेहतर कोई और हो ही नहीं सकता । सच ही तो कहा गया है कि सर्वश्रेष्ठ की संकल्पना खुद को अभिमानी बनाने की अवधारणा मात्र है ।      खैर जो भी हो कौन क्या कर रहा है इससे कहीं ज्यादा जरूरी है कि हम इस विषय पर ध्यान केंद्रित करे कि हम क्या कर सकते है , कैसे कर सकते है और कितना कर सकते है ।  शिक्षा का बाजारीकरण आधुनिक युग की एक बड़ी समस्या है जिसमें बेचारे छात्र समूह हर दिन पीस रहे है , जब ये अवांछनीय दबाव मानसिक चेतना को जागृत करती है तो विचलित मन एक नए विकल्प की तलाश करने लगता है , एक ऐसा संस्थान जो छात्रों की व्यथा को समझे और उनके हित के लिए दिन रात प्रयासरत हो ।        कहने को तो सभी अपने अपने हिसाब से अपनी दुकान ही चला रहे है पर क्या ये विशाल छात्र परिवार बस खरीदार बन कर ही रह जाए और हर वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर खुद को ठगा हुआ और छला गया महसूस करे ये सही है , अगर ये नियति और परम्परा बन गई है तो हम इसे बदलना चाहते है । हम छात्रों के साथ जुड़कर उनकी हर एक समस्या हर एक पह...

वक़्त बदलता नहीं , वक़्त को बदलना पड़ता है ।

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    हमने अक्सर सुना है कि वक़्त की सबसे बड़ी खूबसूरती यही है कि चाहे जैसा भी हो गुजर जाता है ; हम बहती हुई दरिया की किसी बूंद को दोबारा नहीं छू सकते । जिस पल में जी रहे है वो पल लौट कर नहीं आयेगा। पर क्या वाकई वक़्त बदलता है या वक़्त को बदलना पड़ता है । इस सवाल के दो आयाम है एक ये कि जीवन को वक़्त के भरोसे छोड़ दे और वक़्त अपने हिसाब से चलता रहे और दूसरा ये कि वक़्त को अपने अनुसार बनाने के लिए निरंतर प्रयास जारी रखा जाए । अब जरा सोचिए वक़्त तो हर हाल में बदलेगा पर आपने इसे अपने अनुरूप बदलने के लिए किया क्या है ?    " वक़्त एक नदी है जो बहती जा रही है , दिशा और दशा तय करेगी सागर तक का सफर "          इतिहास के पन्नों को पलटने पर हम पाते है कि जिसने भी जीवन के उद्देश्य को समझकर लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया उसने इस समय के पहिए को अपने हिसाब से घुमाया या फिर इस पहिए की रफ्तार को पहचान कर उसके ताल से ताल मिलाकर चलता चला गया । और वो लोग जो नियति के भरोसे बैठे रह गए ये सोचकर कि उनका समय आयेगा दरअसल वो समय कभी आया ही नहीं क्योंकि समय बदलता जरूर है मगर उनके लिए नहीं जो जीवन के किसी मोड़ पर ठह...

सपना वो नहीं जो आप नींद में देखते है बल्कि सपना वो है जो आपको सोने ना दे

ये सोलह आने सच है कि सपनों की इस हसीन दुनिया में सबकुछ सपने जैसा ही तो लगता है पर उसके लिए यथार्थ है जिसने अपने सपनों को सोने नहीं दिया , उसे अतीत की पुरानी बस्ती में खोने नहीं दिया और उसे इतिहास के पन्नों में दफन होने नहीं दिया ।  " मंज़िल भी तो बस सफ़र का ही एक हिस्सा है क्योंकि जिंदगी ठहर जाने का नाम नहीं "      आइए इस लघु निबंध में हम सपनों को साकार करने के तरीके को जानने तथा जीवन के उद्देश्य को समझने का प्रयास करते है ।       उपरोक्त शीर्षक हमारे भूतपूर्व यशस्वी राष्ट्रपति जिन्हें हम मिसाइलमैन के नाम से संबोधित करते है का एक कथन है पर असल में इस एक कथन में ही सम्पूर्ण जीवन का दर्शन है । सपने देखना भला किसे पसंद नहीं , पर क्या मनपसंद सपने सोते हुए आ सकते है और अगर यदा कदा आ भी जाए तो नींद के टूटने के साथ ही टूट कर बिखर जाते है और फिर शायद टुकड़े मात्र ही रह जाते है । पर जरा सोचिए अगर कोई सपना खुली आँखों से देखा जाए और उसके पूरा होने तक अपना सर्वस्व लगा दिया जाए तो फिर उसे सच होने से कौन रोक सकता है ।   " सपनों की दुनिया में कोई सच तलाशते है , कल्पना ही तो यथार्थ की ज...

MAINSTREAM :- A strong walk to BIPARD

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https://t.me/+J46Kx-04iWcwZGJl मित्रों , जैसा कि आप सभी जानते है BPSC ने 71वी संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के लिए 1298 पदों पर आवेदन प्रक्रिया को पूरा कर लिया है अब वक्त है अपनी तैयारी को दुरुस्त करने का और लगभग 6 लाख की भीड़ में से खुद को निकाल कर 15 हजार की उस सूची में शुमार करना जो मुख्य परीक्षा का हिस्सा होंगें । असली लड़ाई तो प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण होने के बाद ही शुरू होगी जो आपको आपकी मंज़िल यानी BIPARD तक ले जाएगी ; तो आइए आपकी इस यात्रा में हम आपके मार्गदर्शक और सारथी बनते है और आपके सपनों को यथार्थ में बदलने की तरफ एक मजबूत कदम बढ़ाते है । फिर देर किस बाद की आज और अभी जुड़िए अपनी Dream Team जी हां MAINSTREAM से 👇👇 https://t.me/+J46Kx-04iWcwZGJl Click on this link to join Thank you Team MAINSTREAM

वो बिल्ला है या फिर कोई पूर्वज :- मोहब्बत और दहशत की कहानी ✍️

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बात है मेरे नानी घर की , नानी तो अब नहीं रही पर है तो नानी का घर ही । ये किस्सा है भोजपुर जिले के अंतर्गत आरा शहर के आनंद नगर मोहल्ले का । एक ओर पूरे पिपरहिया रोड क्षेत्र में मंटू का खौफ तो दूसरी तरफ मेरे नानी के घर में अचानक से आ धमके और डेरा जमाये बिल्ले का रहस्य दोनों ही इस कस्बे में चर्चा का विषय है । वैसे तो इस बिल्ले ने अभी तक कोई नुकसान नहीं किया पर इसकी रहस्यमयी उपस्थिति और क्रियाकलाप सोच-विचार करने पर मजबूर कर देते है । इसे कितना भी भगाओ ये जाता नहीं है इसे कोई और घर क्यों भाता नहीं है ? एक बार तो मेरे ममेरे भाई ने इसे 6-7 km दूर छोड़ आने की योजना बनाई फिर क्या स्कूटी उठाई और हवा से बातें करता हुआ कुछ ही मिनटों में वो बिल्ले को घर से दूर रख आया । क्या गजब की खुशी थी चेहरे पे और परिवार में भी बेहद सुकून का माहौल मगर कब तक पता नहीं । फिर जो हुआ वो आश्चर्यजनक था ,शाम को बिल्ला महाराज वही उसी कोने में इन्वर्टर पर विराजमान थे । मानो जैसे कुछ हुआ ही नहीं मैं हूँ वहीं मैं था जहाँ । और पूरा परिवार अब इस बिल्ले की विरासत को स्वीकार कर बैठा है । मस्त खान-पान और रहन-सहन का समुचित प्रबंध ह...