Posts

वो बिल्ला है या फिर कोई पूर्वज :- मोहब्बत और दहशत की कहानी ✍️

Image
बात है मेरे नानी घर की , नानी तो अब नहीं रही पर है तो नानी का घर ही । ये किस्सा है भोजपुर जिले के अंतर्गत आरा शहर के आनंद नगर मोहल्ले का । एक ओर पूरे पिपरहिया रोड क्षेत्र में मंटू का खौफ तो दूसरी तरफ मेरे नानी के घर में अचानक से आ धमके और डेरा जमाये बिल्ले का रहस्य दोनों ही इस कस्बे में चर्चा का विषय है । वैसे तो इस बिल्ले ने अभी तक कोई नुकसान नहीं किया पर इसकी रहस्यमयी उपस्थिति और क्रियाकलाप सोच-विचार करने पर मजबूर कर देते है । इसे कितना भी भगाओ ये जाता नहीं है इसे कोई और घर क्यों भाता नहीं है ? एक बार तो मेरे ममेरे भाई ने इसे 6-7 km दूर छोड़ आने की योजना बनाई फिर क्या स्कूटी उठाई और हवा से बातें करता हुआ कुछ ही मिनटों में वो बिल्ले को घर से दूर रख आया । क्या गजब की खुशी थी चेहरे पे और परिवार में भी बेहद सुकून का माहौल मगर कब तक पता नहीं । फिर जो हुआ वो आश्चर्यजनक था ,शाम को बिल्ला महाराज वही उसी कोने में इन्वर्टर पर विराजमान थे । मानो जैसे कुछ हुआ ही नहीं मैं हूँ वहीं मैं था जहाँ । और पूरा परिवार अब इस बिल्ले की विरासत को स्वीकार कर बैठा है । मस्त खान-पान और रहन-सहन का समुचित प्रबंध ह

शांत क्यों हो सुशांत 😞

Image
चलिए सुशांत जी , आपको आपकी याद दिलाते है अब जो हकीकत है उसे ही आईना दिखाते है  पवित्र रिश्ता से आप टेलीविजन पर नजर आते है  सिर्फ अंकिता जी के ही नहीं सबके दिल में बस जाते है  सफर यहीं नहीं रुकता आपका आप तो बहूत आगे तक जाते है  टेलीविजन से निकलकर पर्दे पर आते है और काई पो चे चिल्लाते है PK में चार कदम बस चार कदम  चल दो ना साथ मेरे गाते है  जिस माही ने क्रिकेट से सबका दिल जीत लिया  उनकी Untold Story आप सबको सुनाते है  फिर बड़ी कठिनाई से केदारनाथ जाते है  खैरियत पूछो कभी तो कैफियत पूछो ऐसे गाने के अल्फाज गुनगुनाते है  तब सहसा शांत से रहने वाले सुशांत  छिछोरे बन जाते है  इतने सारे किरदार  बड़ी ही आसानी से निभाते है  सबको Impression का पाठ पढ़ाने वाले खुद Depression में चले जाते है  क्या हुआ जो जिन्दगी से ऊब जाते है  हमें रुलाकर सब कुछ भुलाकर खुद वक़्त से पहले बेवक़्त लटक जाते है  आप कहाँ यूँ हमें छोड़ जाते है  लौट आइए की आप बहूत याद आते है  जब तक ............ 😭😭😭😭 हाँ मेरे साथ तुम रहो ........😭😭😭😭😭 जाने की बात ना करो ...... 😪😔😭😭😭😭 🌱SwAsh🌳 @shabdon_ke_ashish ✍️

कहाँ गया वो पेड़ 🌳

Image
दोपहर का वक़्त था ,सूरज देवता एकदम बीचोबीच विराजमान थे और आसमान से आग बरस रही थी । एक राहगीर धधकती सड़क पर किसी अनजान मंजिल की तलाश में सफर कर रहा था । मंजिल का तो पता नहीं फ़िलहाल नजरों को एक छांव की ललक थी । तभी मानों अरसों की तलब पूरी हो गई और थोड़ी दूर सही पर एक विशालकाय बरगद का वृक्ष दिखाई पड़ा । फिर तो रेंगते कदमों में मानों सुनहरे पंख लग गए । उड़ता हुआ वो पथिक सीधा पेड़ के आगोश में जा गिरा । पसीने से लथपथ अपनी कमीज उतारी और तालाब में बैठी किसी भैंस या फिर नाली में पड़े किसी कुत्ते की तरह हांफने लगा । थोड़ी देर में ही उसने राहत की साँस ली और मंद-मंद पवनों की थपकी ने कब उसे झपकी के हवाले कर दिया पता ही नहीं चला । थका-हारा यायावर थोड़ी ही देर में गहरी नींद में सो गया । पर अचानक से उसका बदन फिर से जलने लगा और आँख खुली तो ना पेड़ था ना छांव ना दूर-दूर तक कोई शहर ना कोई गाँव । बेचैनी में वो उठ खड़ा हुआ और सोचने लगा कि ये एक सपना है या फिर वो कोई ख़्वाब था । कुछ देर तक आसमान निहारने के बाद वो फिर उसी अनजान सफर पर निकल पड़ा जिसकी ना तो कोई मंजिल थी ना ठिकाना ,आख़िर जेठ सी भरी दोपहरी में दिवाकर से आँख

आख़िर पहुँच ही गई शहर की गर्मी गाँव तक भी 🥵

Image
अगर आपको लगता है कि विकास गाँव तक नहीं पहुंचा तो शायद आपने गाँव को तब और अब देखा ही नहीं । वो धूल से सनी कच्ची सड़क अब चमचमाती अलकतरे की काली नागिन के दोनों तरफ सफेद पट्टी के निशान में तब्दील हो गई है । वो बरसात में कीचड़ से संघर्ष करते रास्ते अब झमाझम में नहा कर अपने कायाकल्प पर इतराते नजर आते है । वो लालटेन की धीमी रौशनी में दरवाजे के पीछे से अपने पति के आने की राह देखती चुन्नू-मुन्नू की माँ के घर से शहर तक दूधिया रौशनी में नहाती जमीं अब उस आसमां के चाँद के भरोसे नहीं जो पूरनमासी को पूरा और अमावस को नदारद हुआ करता था । ना तो पहले की तरह झोपड़ी है ना फुस के छप्पर , ना मिट्टी की दीवारें ना टाली ना चौबारें । अब देहात में भी किसी के हाथ झुलाने वाले पंखें के भरोसे नहीं , सर पे नाचता है तीन टांगों वाला खेतान या तूफ़ान । कभी जिन्हें गुरूर हुआ करता था प्रकृति की ताजी हवा पर आजकल समृद्धि के एयरकंडीशन के सुरूर में मगरूर है ।                        अब शहरी साहब और उनके परिवार को जब शहर जलाता है तो कहां वो ख्वाबों का गाँव याद आता है । मकान तो दोनों जगह पक्के है मगर फिर भी गर्मी से परेशान बच्चे है ।

खौफ़ की एक रात 🙄

Image
कल रात चाँद रक्त सा लाल था मानों चाँदनी ने लहू पी लिया हो और अपनी सारी लाली चमकते चाँद पर उड़ेल दी हो । आम लोगों के लिए तो ये बस एक सामान्य सी बात थी , सच कहूँ तो अधिकांश ने ध्यान ही कहाँ दिया आसमान पे । पर जिसने दिया वो चश्मदीद है अंधेरी रात में अंगारों से दहकते रक्ताभ चाँद का ।     रोजाना की तरह मैं तक़रीबन 8.45 के आस-पास अपने घर की सीढ़ियों पर टहलता हुआ छत पे खुले आसमान के नीचे राहत की साँस की चाह में सुकून के पल बिताने पहुँचा । नीचे तो मानो आग बरस रही थी अब किसे पता था कि धरती की तपिश से चाँद भी लाल हो जायेगा , भाई वाह इश्क़ हो तो ऐसा । वैसे तो मैं आदत से मजबूर अक्सर उत्तर-पूर्व के आसमान को निहारता रहता हूँ पर जैसे ही मेरी नजर दक्षिणपूर्वी कोने पे पड़ी पेड़ की छाया से थोड़ा ही ऊपर चाँद जलते तवे पे पड़े लाल गुड़ के पराठे सा धधक रहा था ,पर इस तपन में भी अखंड ठंडक थी बस नजरें इस दृश्य को देखकर उबलने लगी और मन मस्तिष्क से भी तेज कुछ तलाशने लगा ।  अभी हम इस उधेड़-बुन में ही व्यस्त थे कि अचानक रेड ब्लड मून का ख्याल आया और मेरे छत की जमीन पर टहलते तन्हा कदम एकदम से ठहर गए । क्योंकि ये तो क़यामत की र

तू हवा है या जिन्दगी 🌳

Image
कभी पछुआ जोर लगाती है  तो कभी पुरवा शोर मचाती है  जिन्दगी का मतलब बहना है  ये पाठ हमें सिखलाती है  ख़ामोश हो जाना है सबको एक दिन इस मौन से ये कब घबराती है  कभी सर्दी में ठिठुराती है  तो कहीं गर्मी से जलाती है  कभी चल-चल के सताती है  तो कभी ना चले तो रुलाती है  किसी सुबह ख्बाब से जगाती है तो किसी शाम को दिल बहलाती है  कभी तन्हाई में सिसकाती है तो कभी महफ़िल में आग लगाती है  कभी बादल संग रेस मचाती है  तो कभी बारिश में नहाती है  कभी सूरज को आँख दिखाती है  तो कभी चंदा में शर्माती है  कभी अधरों पे फड़फड़ाती है  तो कभी सीने में आह दबाती है  कभी पायल बन झनझनाती है  तो किसी आँचल को लहराती है  कभी आशिक़ को मचलाती है  तो कभी शायर के शब्द सजाती है  कभी सजे हुए को बिखराती है  तो कभी किसी बिखरे को सजाती है कभी कोरे कागज पे कोई किस्सा बन जाती है  तो कभी किसी किस्से को ही कोरा कर जाती है  कभी तितली के संग रंग लाती है  तो कहीं जुगनुओं में जगमगाती है  कभी चिड़ियों संग चहचहाती है  तो किसी झरने के संग गाती है  कभी जुल्फों को सहलाती है  तो कभी गालों को छू जाती है  कोई संदेश कहीं ले जाती है  तो कभी याद किसी की ल

वो एक दिन और उनका जन्मदिन 🦋

Image
वैसे तो हर एक दिन विशेष होता है और प्रत्येक पल की अपनी विशेषता होती है पर कुछ तो बेहद खास बात है ना इस 19 मई की जिसका इंतजार सादगी भी बड़ी बेसब्री से करती है ,मगर कभी इज़हार नहीं करती ये अलग बात है । वैसे भी उनकी जुबां अंतरों से सजी अन्तराक्षरी है व गीतों का सुरीला चित्रहार है जो अक़्सर अपनी भावनाओं की नदी को नगमों के झरनों में परोसती है । है ना बेहद दिलचस्प ,मुझसे बेहतर ये कौन जान सकता है भला !          ऐसा नहीं है कि उन्हें खुशियाँ तलाशनी पड़ती है दरअसल सच तो ये है कि हसीं पल उन्हें खुद ढूँढ़ लेते है । पर जन्मदिन तो साल में एक बार ही आता है ना वो भी बस 24 घण्टे के लिए फिर जो पूरे साल की सेलेब्रिटी है उसे इस स्पेशल डे पर रॉयल्टी मिलना तो लाज़िमी है । कहाँ उन्हें फुरसत है कहीं आने-जाने की वो तो एक कमरे की संसद भवन में पाँच साल के सरकारी कार्यकाल की तरह खाली है या फिर इतनी व्यस्त की बाहर की दुनिया के लिए वक़्त ही नहीं । फिर भी कभी जब विधाता की असीम अनुकंपा से भ्रमण का संयोग बनता है और वो अवसर आता है जब तमाम सियासत छोड़कर महारानी उस देशी रियासत की फिजाओं में अपने क़दम रखती है जहाँ के कण-कण मानों