व्यस्त हो गए है कुछ यूँ आज कल सभी



आज कल कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो गए है सभी

पर क्या कर सकते है

इन्सान जितना बड़ा होता है उसके पास समय उतना ही कम होता है......

वो भी क्या दिन थे जब कटी पतंग के पीछे 

भागते थे बावलों की तरह 

ना शाम की फिकर ना सुबह की खबर

एक छोटी सी गेंद से खुशियों का खेलना

वो लड़ना झगड़ना घंटो बातें करना

सब कुछ अब हो गया सपना

इस career ने barrier लगा दिया

खो गए सभी ना जाने कहाँ

बस अब तो social site पर सेल्फी ही दिखती है

पर इसमें वो बात कहाँ

ये तो बस जरिया है एहसास है

दिलाशा है झूठी की हम दूर नहीं पास है

हम दूर नहीं पास है

हम दूर नहीं पास है ....

पर क्या ये सच है

अरे नहीं

खो गए सब कहीं

ना तो वो वो रहे

और हम भी तो हम नहीं

उदास तो सभी है

पर कहते है कोई गम नहीं

ना तो वो वो रहे

और फिर आखिर 

हम भी तो हम नहीं

पर यादें रह गई है अभी भी 

पलकों के आशियाने में

छलक जाती है कभी कभी 

यूँ ही जरा जरा सी 

आँखों के पैमाने में

चलो याद तो करते है 

एक दूसरे को सही

ना तो वो वो रहे

और फिर आखिर 

हम भी तो हम नहीं

हम भी तो हम नहीं

फिर भी उन्हें मेरी अच्छाइयों का एहसास है

तभी तो हाल पूछ लिया करते है

ये अलग बात है कि

वो अपने रास्ते चलते है

और हम उनसे मिलने को

अपना रास्ता बदलते है

अरसा बीत गया 

फिर भी 

आज भी

टुटा वो भरम नहीं !!!!!!

ना वो वो रहे

ना वो वो रहे ............

और हम भी तो शायद हम नहीं

और हम भी तो शायद हम नहीं ........


आशीष

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