सर्दी की एक रात
एक अंटार्कटिका में जमे बर्फ
से भी ज्यादा ठंडी रात
दूर तक पसरा सन्नाटा
आसमान में तारों के बीच ठिठुरता चाँद
कुछ तेरे-मेरे मेरे-तेरे जज्बात
आती-जाती जाती-आती गर्म साँस
आँखों के दरमियाँ कुछ सरगर्मियाँ
लड़खड़ाते मगर फिर भी फड़फड़ाते होंठों की बिजलियाँ
फिर कुछ हिचकियाँ
और रफ्ता रफ्ता बढ़ती नजदीकियाँ
कंपकंपाते हाथ
सुलगती धड़कनें
इंतजार है जिन्हें
उस ओर की हलचलों का
दोनों तरफ लगी एक सी आग
पर्दे में है जिस्म
पर नजरें बेपर्दा
एक होने को
सिमट जाने को
लिपट जाने को
ठहर जाने को
एक दूजे की बाहों में
आशिकी का सफर
मंजिल-ए-कायनात
पर बिखर जाने को
कयामत सी वो मुस्कान
ले ना ले कहीं जान
कमरे की धीमी रौशनी में
चाँद को निहारती नजरें
चाँद भी उतरने को बेकरार
धरती के सीने में
हो जायेंगे सराबोर
आज दोनों पसीने में
#shabdon_ke_ashish
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