Thoda_Aur
नहीं जाऊंगी दूर ....
कहती है मुझसे
अरे ! मैं जाने दूँ तब ना
ये दिल का दरबार है ' जाना '
ना अपनी मर्जी से
आ सकती है
और ना
जा सकती है
खत्म हो गए
मनमर्ज़ियों के वो
सारे दौर .....
फैसले करने का हक
फासलों ने खो दिया है
हर रोज जो आते गए
पास हम
थोड़ा और , थोड़ा और , थोड़ा और .....
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