ये सोलह आने सच है कि सपनों की इस हसीन दुनिया में सबकुछ सपने जैसा ही तो लगता है पर उसके लिए यथार्थ है जिसने अपने सपनों को सोने नहीं दिया , उसे अतीत की पुरानी बस्ती में खोने नहीं दिया और उसे इतिहास के पन्नों में दफन होने नहीं दिया । " मंज़िल भी तो बस सफ़र का ही एक हिस्सा है क्योंकि जिंदगी ठहर जाने का नाम नहीं " आइए इस लघु निबंध में हम सपनों को साकार करने के तरीके को जानने तथा जीवन के उद्देश्य को समझने का प्रयास करते है । उपरोक्त शीर्षक हमारे भूतपूर्व यशस्वी राष्ट्रपति जिन्हें हम मिसाइलमैन के नाम से संबोधित करते है का एक कथन है पर असल में इस एक कथन में ही सम्पूर्ण जीवन का दर्शन है । सपने देखना भला किसे पसंद नहीं , पर क्या मनपसंद सपने सोते हुए आ सकते है और अगर यदा कदा आ भी जाए तो नींद के टूटने के साथ ही टूट कर बिखर जाते है और फिर शायद टुकड़े मात्र ही रह जाते है । पर जरा सोचिए अगर कोई सपना खुली आँखों से देखा जाए और उसके पूरा होने तक अपना सर्वस्व लगा दिया जाए तो फिर उसे सच होने से कौन रोक सकता है । " सपनों की दुनिया में कोई सच तलाशते है , कल्पना ही तो यथार्थ की ज...
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