Teri_Maujudgi
रोज सवेरे उस पहली किरण में जब मैं खोलूँ पलकें
ढ़लती शाम के साथ जब हम खुद को तन्हा समझें
चिलचिलाती धूप में जब बदन लगे जलने
कंपकपाती ठंड में जब लगे रक्त भी जमने
भीगी-भीगी बारिशों में जब लगे कभी दिल मचलने
भीनी-भीनी खुशबू लिए बाहों में सिमट कर साथ महकने
दिन के उजाले में पग-पग पर कदम साथ रखने
रातों को दरबदर तरबतर हर पहर रूबरू बहकने
हर पल है बेखुदी सी !!
इक तेरी मौजूदगी ही !!!!!
✍️ shabdon_ke_ashish ✍️
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