गलती से ही सही ....

बेटी पैदा हुई क्या उस बाँप की गलती थी ?

वक़्त के साथ वो बड़ी हो गई ये किस बात की गलती थी ?

वो अपना आँगन छोड़ कहीं और चली बस एक रात की गलती थी !

सबकुछ सहती रही मगर चुप रही सब हालात की गलती थी !

बेटी का हक बहु को ना मिला कभी ,सकल समाज की गलती थी !

दो नजर वार के दो शब्द प्यार के ,चल दिये जब कदम संग इजहार के क्या ये महज इकरार की गलती थी !!

रोकती रही वो खुद को बामुश्किल हर रोज ,अफसोस ! शायद रिवाज की गलती थी

गलती से ही सही
कभी
गलतफहमी में ही
जीने दो इन्हें भी
अपने ढंग में
अपने रंग में
जो बेटियाँ है ,
माँ है ,
दुनिया है ,
जहाँ है ;
इन्होंने तो मुस्कुरा के
हर गम छुपा के
सबकुछ सहा है
मगर किसी से 
कभी कुछ ना कहा है !

चाहत बस इतनी सी
की आपकी हसीं में भी
और नमी में भी
आपके लबों की
मुस्कान बनूँ ,
साये की तरह साथ रहूँ
आपसे हर बात कहूँ
आपकी सरजमीं का
मैं आसमान बनूँ
एहसास बनूँ
स्वाश बनूँ
आपका मान बनूँ
सम्मान बनूँ !

और जब-जब आप जिन्दगी बने
मैं आपकी जान बनूँ .....

और जब-जब आप जिन्दगी बने
मैं आपकी जान बनूँ .....

और जब-जब आप जिन्दगी बने
मैं आपकी जान बनूँ .....

और जब-जब आप जिन्दगी बने
मैं आपकी जान बनूँ .....

एहसास @❤️SwAsh💖

✍️shabdon_ke_ashish✍️

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