समाज का चरित्र-चित्रण
लघु लेख
शीर्षक : समाज का चरित्र-चित्रण
यूँ तो ये तथाकथित समाज हर एक चरित्र का चित्रण करता है पर एक बात बड़ी विचित्र है क्या इस समाज का अपना कोई चरित्र है ? नहीं ! क्योंकि इस समाज का चरित्र-चित्रण कोई कैसे कर सकता है ,आखिर सब इससे डरते जो है । हमसब ने ना जाने कितनी बार ये सुना होगा समाज क्या कहेगा ? अगर समाज बोल सकता है ,अगर इसकी जुबान है तो इसका चरित्र भी अवश्य होगा । परन्तु कैसा ? यह संशय का विषय है कभी यह निराकार है तो कभी इसके विभिन्न प्रकार है ।
एक प्रश्न तो यह भी है कि - समाज है भी या नहीं !
शायद समाज तभी तक है ,जब तक हमारे अंदर डर है ,लाज है ,लिहाज है । समाज स्वार्थी लोगों की एक काल्पनिक संस्था है जिससे वो तभी तक जुड़े रह सकते है जब तक उन पर कोई उँगली ना खड़ी हो । अगर बात अपने पर आती है तो एक ही बात बच जाती है मुझे समाज से क्या लेना ,मैं तो इस समाज का हूँ ही नहीं । अ जी कौन समाज ?कैसा समाज ?किसका समाज ?
एक छोटा सा उदाहरण है कल तक प्रेम विवाह से परहेज था , फिर प्रेम सजातीय हो तो रफ्ता-रफ्ता मान्यता मिलने लगी । फिर भी अंतरजातीय तो पाप था पाप ,लेकिन अब तर्क है कि प्रेम में कहाँ कोई जात-पात होती है । मगर ,आज भी लोग ऐसा करने से डरते जरूर है शायद वो अपने समाज से मजबूर है । क्योंकि समाज तो हर हाल में तमाशा देखेगा ना ।
तीन बच्चों का बाँप अगर किसी परायी स्त्री से सम्बन्ध बना ले तो गलत वो आदमी नहीं वो स्त्री है या फिर उसका वैवाहिक सम्बन्ध । और अगर एक विवाहित कन्या अपने किसी पुरुष सहकर्मी या सहपाठी से मुस्कुरा कर बात कर ले तो कयामत । पल भर में ये झूले पर सवार समाज उसके चरित्र पर सवाल उठाने एक लंबी कतार में हाजिर हो जाएगा । अब चाहे यह टेलीविजन स्क्रीन पर प्रसारित होने वाली अनुज-अनुपमा की कहानी हो या फिर असल जिन्दगी के किसी मध्यमवर्गीय की दास्तान । कसौटी तो एक ही है और चुनौती भी एक सी है :- समाज क्या कहेगा ? किस-किस का मुँह बंद करेंगे ?तुम्हें डर नहीं लगता क्या ?
जिस समाज में जवान को चरित्रवान और जवानी को चरित्रहीन की संज्ञा दी जाती है वो भी सिर्फ शक के आधार पर सोचिए अगर यकीन हो जाये तो क्या होगा ?
ये तो अच्छी बात है कि समाज का कोई कानून नहीं है और समाज से ऊपर भी एक कानून है वरना सारे फैसले गलत लिए जाते और इंसाफ का आधार न्याय नहीं हाय-हाय होता ।
इस मायावी समाज का चरित्र-चित्रण कैसे करे ;ये अनोखा है !विचित्र है !दरअसल ;ना इसमें चरित्र है , ना इसका चित्र है ......
🌱SwAsh🌱
✍️shabdon❤️ke💖ashish✍️
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