गाँव ,गाँव ना रहा !
लहरों पे सफर कर रहा है आजकल मेरा गाँव ,हवायें बदल गई है !
दरिया तो दूर है बहोत ,दरअसल इसे गर्मी की नजर लग गई है !!
जरूरतों ने गाँव को शहर बना दिया यूँ !
अब धधकती है जमीं तो शिकायतें ,फिर क्यों ?
कहाँ है वो छाँव 🌱
सुकून से भरा - " मेरा गाँव " ।
✍️shabdon💚ke💚ashish✍️
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