Love जिहाद 🤔

लव जिहाद 

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आजकल सबकी जुबान पर बस यही चढ़ा है so called लव जिहाद । अरे इन दोनों शब्दों का कोई कनेक्शन हो सकता है क्या ?I think कभी नहीं । क्योंकि जहाँ love है वहाँ जिहाद कैसे और जहाँ जिहाद है वहाँ love कहाँ ।

वैसे तो ये बस एक संकीर्ण मानसिकता मात्र है जिसे हमारे समाज ने एक नया नाम और धार्मिक रंग दे दिया है । प्रेम तो हर धर्म के मूल में है । फिर कोई भी धर्म लव जिहाद की बात नहीं कर सकता ।

इस नए generation को ना तो अपने religion के बारे में ठीक से पता है और love ये तो बस हवस का symbol बन कर रह गया है । आज के इन निब्बा-निब्बियों को freedom और privacy कुछ ज्यादा ही चाहिए । और इसी अतिनिजता की आड़ में फल-फूल रहा है ये लव जिहाद । 

धर्म परिवर्तन की बढ़ती घटनाएं भी इसी का result है ,किसी के बहकावे में आकर ये prematured population बहुत easily influenced हो जाती है और इस show off वाली culture से affected होकर इस दिखावटी झूठे प्यार के चक्कर में अपने parents को ignore और hurt करती है जिन्हें अंत में पछतावा होता है ,मगर तब तक बहुत देर हो गई होती है ।

अपने religion के बारे में कम knowledge और trust के कारण teenagers का बड़ी आसानी से brainwash कर दिया जाता है और खुद को बेहद काबिल समझने वाली पापा की परियाँ इन पापियों के चंगुल में फँस कर इस जिहादी षड्यंत्र का शिकार हो जाती है । 

it is necessary to connect with our religions ,traditions and guardians not only for the life but also for alive ......

ऐसे में जरूरत है कि parents अपने real guardian वाले role में आये और इस high level की privacy और freedom को control करें ,नहीं तो फिर कहीं देर ना हो जाये और the kerla story फिर और कहीं repeat ना हो जाये । 

covid-19 से भी danger इस दिमागी वायरस को permanently delete करने के लिए आइये जुड़ते है । 

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