जीवन का अहम अध्याय :- प्रेम !

जीवन का अहम अध्याय :- प्रेम ।

इस संसार में जन्म लेने के साथ ही हम मोह ,माया और बंधन से जुड़ जाते है । फिर बढ़ती उम्र के साथ निरंतर इसका संकुचन और विस्तार होते रहता है । हमारे व्यक्तित्व के विकास में एवं व्यवहारिक ज्ञान के संवर्धन में हमसे जुड़े हर रिश्ते का एक विशेष योगदान होता है । परंतु मोह या फिर बंधन हमें उस दिव्य उद्देश्य से अवगत कराने के लिए पर्याप्त नहीं है जिसके लिए हम इस वसुंधरा पर आये है । ये हमें साम दाम दंड भेद कल छपट द्वेष जलन आदि अनेक कुवृत्तियों से परिचित कराते है और कभी-कभी तो जाने-अनजाने में हम इसमें संलिप्त भी हो जाते है ।

मगर इन सबसे विपरीत सच्चा प्रेम हमें त्याग करना सिखाता है । प्रेम हमें जीवन की परिपक्वता के हर एक अंश को बड़ी सरलता से समझाता है । एक ओर जहाँ सारी दुनिया मैं ,मेरा ,मुझमें ,मुझसे ,मुझको में उलझी रहती है वहीं दूसरी ओर इन सभी के समानांतर प्रेम अकेला ही हम ,हमसे और हमारी बात करता है । यह मन के शुद्धिकरण का श्रेष्ठतम मार्ग है । यह अध्यात्म का प्रथम द्वार है । प्रेम मानवता का असली रूप है ।

जीवन को खर्च करके भी अगर मील जाये तो सहर्ष सह्रदय स्वीकार कर लेना ये " आय " :-

जीवन का अहम अध्याय :- " प्रेम " ।

🌱SwAsh🌱 

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