कान्हा की मटकी 🧡


❤️ कान्हा की मटकी 🧡

सादगी ने बड़ी ताजगी से 
रंग भर दिए एक सादे से मटके में
वक़्त ज्यादा नहीं लगा उन्हें
मानो कर दिया बस एक झटके में
पलक झपकते ही हो गया उस मटकी का कायाकल्प
कलाकारी ही तो है बस कला का विकल्प
मटके की तरह ही तो है ये जीवन भी 
सँवरने की ताक में बैठा है वो अंतर्मन जी
जिसे जरूरत नहीं किसी कृत्रिम सृंगार का
उसे तो चाहिए लाली ,बिंदी ,काजल ,गहना सब बस विचार का 
चाहे तो रंग भर दे हौले-हौले तन-मन में
या फिर छोड़ दे रंगहीन व उदासीन निर्वसन में
एक टक निहारता रहा मैं उँगलियों के आयाम को 
मन भा गई ये नई नवेली मेरे श्याम को 
जिस सादगी की सजावट पर हर नजर अटकी है 
दरअसल ये हमारी तुम्हारी नहीं बल्कि कान्हा की मटकी है ......

🙏 राधेकृष्ण 🙏

@shabdon_ke_ashish ✍️






Comments

Popular posts from this blog

उबल रही है :- चाय या फिर यादें ☕

नूर-ए-हिन्द - " कोहिनूर " 💖

मगर कब तक ?