वक़्त और पैसा ✍️
बचपन से यही सुनते-सुनते बड़े हुए है कि - " Time is Money " और बढ़ती उम्र को कदम कदम पर ज़माने ने समझाया कि :- The Money has lots of time । मगर वक़्त और पैसा एक साथ शायद ही किसी को नशीब होते है । अक़्सर जब वक़्त होता है तो पैसा कम पड़ जाता है और जब पैसा अथाह हो तो वक़्त ही नहीं मिलता । सच कहूँ तो रोटी ,कपड़ा और मकान हमारी community की basic needs नहीं दरअसल priority में वक़्त और पैसा ही है । गहराई में जाकर तलाशने पर इन तीनों प्राथमिक आवश्यकताओं के मूल में भी वक़्त और पैसा ही बैठे नजर आयेंगें सृजनकर्ता के रूप में । विलासी को पैसा चाहिये और वैरागी को वक़्त । प्रेम और अध्यात्म वक़्त की महत्ता पर बल देते है तो वही भौतिकतावादी तत्व पैसे की महिमा का गुणगान करते है । जिसे बहुत पैसा चाहिये उसे सुकून कम मिल पाता है और जिसके पास खुद के लिए और उससे जुड़े अपनों के लिए वक़्त काफ़ी है उसे बेपरमान पैसे से क्या ही लेना ,वो थोड़े में भी बड़े आराम से गुजारा कर लेता है । अमीर बनना बुरी बात नहीं मगर रईश बनने के जुनून में किसी गरीब का खून चूसना गलत है । अब सभी सन्यासी तो नहीं बन सकते ना मगर विलासी बनने से तो कही...