वो एक दिन और उनका जन्मदिन 🦋
वैसे तो हर एक दिन विशेष होता है और प्रत्येक पल की अपनी विशेषता होती है पर कुछ तो बेहद खास बात है ना इस 19 मई की जिसका इंतजार सादगी भी बड़ी बेसब्री से करती है ,मगर कभी इज़हार नहीं करती ये अलग बात है । वैसे भी उनकी जुबां अंतरों से सजी अन्तराक्षरी है व गीतों का सुरीला चित्रहार है जो अक़्सर अपनी भावनाओं की नदी को नगमों के झरनों में परोसती है । है ना बेहद दिलचस्प ,मुझसे बेहतर ये कौन जान सकता है भला !
ऐसा नहीं है कि उन्हें खुशियाँ तलाशनी पड़ती है दरअसल सच तो ये है कि हसीं पल उन्हें खुद ढूँढ़ लेते है । पर जन्मदिन तो साल में एक बार ही आता है ना वो भी बस 24 घण्टे के लिए फिर जो पूरे साल की सेलेब्रिटी है उसे इस स्पेशल डे पर रॉयल्टी मिलना तो लाज़िमी है । कहाँ उन्हें फुरसत है कहीं आने-जाने की वो तो एक कमरे की संसद भवन में पाँच साल के सरकारी कार्यकाल की तरह खाली है या फिर इतनी व्यस्त की बाहर की दुनिया के लिए वक़्त ही नहीं । फिर भी कभी जब विधाता की असीम अनुकंपा से भ्रमण का संयोग बनता है और वो अवसर आता है जब तमाम सियासत छोड़कर महारानी उस देशी रियासत की फिजाओं में अपने क़दम रखती है जहाँ के कण-कण मानों उनकी उपस्थिति के ऋणी है ,जन-जन उनके व्यक्तित्व के दर्शनाभिलाषी है और मन-मन में उनके लिए घर है ।
वैसे तो प्रस्ताव कल ही आ गया था वो भी निमंत्रण की सौंधी सुगंध लिए पर इस आमंत्रण पर स्वीकृति की मुहर नहीं लग पाई थी । रात भर समस्त रियासत पलकें बिछाये प्रतीक्षा करती रही और आज शाम इस लंबे इंतजार को विराम तब लगा जब उन्होंने इस चहारदीवारी के चक्रव्यूह और बंदिशों के प्राचीर को लांघ कर अपने नन्हें क़दमों की बिसरी आहटों से सजे वो घर जो वास्तव में इस रियासत का महल है कि ओर प्रस्थान किया ।
तमाम तोहफ़े और सारे बंदोबस्त इस उपहार के आगे फ़ीके है ;आख़िर इससे बड़ी उपलब्धि और क्या होगी कि जन्मदिन पर अपने घर में अपनों के बीच है एक बेटी ...
बन के तितली दिल उड़ा उड़ा
उड़ा है कहीं दूर..
बन के तितली दिल उड़ा उड़ा
उड़ा है कहीं दूर..
चल के ख़ुशबू से जुड़ा जुड़ा
जुड़ा है कहीं दूर
हादसे ये कैसे
अनसुने से जैसे चूमे अंधेरों को
कोई नूर
बन के तितली दिल उड़ा उड़ा
उड़ा है कहीं दूर..
सिर्फ कह जाऊं या
आसमान पे लिख दूं
तेरी तारीफों में
चश्में बाद्दूर
चल के ख़ुशबू से जुड़ा जुड़ा
जुड़ा है दूर .....
🌱SwAsh🌳
@shabdon_ke_ashish ✍️
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